1-दावे के साथ नहीं कहा जा सकता ताजमहल को किसने डिज़ाइन किया था पर कहा जाता है 37 लोगो ने मिल कर ताजमहल का डिज़ाइन किया था ये 37 वास्तुकार दुनिया से अलग अलग भुलाये गये था
2-ताज महल की नीव बनाते समय ताज के चारों तरफ बहुत से कुएँ खोदे गए इनमें पत्थर के सात सात महोगनी की लकड़ियां डाली गया ये इसको मजबूत बनती है महोगनी की लकडिया में ये ख़ासियत है इनको जितनी नमी मिलती है ये उतनी ही मजबूत रहती है और इन लकड़ियां को नमी यमुना जी के पानी से मिलती है यमुना जी के पानी का स्तर हर साल गिरता जा रहा है इस लिए साल2010 में ताज में दरारें देखी गई
3-1979 में एक भारतीय लेखक ने एक किताब लिखी थी जिसका नाम था Tajmahal The True Story इस किताब में उन्होंने कई तर्क के सात ये दाबा किया था की ताज बने से पहले ये एक शिव मकबरा था और इसका नाम तेजोमहल था साल 2000 में अपनी बात को सिद करने के लिए ताज को खोदने की अर्ज़ी दी जिसको सुप्रीमकोट ने रद कर दिया कुछ लोगो के हिसाब से ताजमहल एक शिव मंदिर नहीं था बल्कि शाहजना ने ही ताज को बनवाया था
4-एक कहानी बहुत प्रसिद्ध है शाहजहाँ यमुना के दूसरी तरफ़ काले पथर से दूसरा ताजमहल बनाना चाहते थे बो मुमताज की तरह अपने लिए भी एक मकबरा बनाना चाहते थे लेकिन जब तक बो बनबाते अंग्रेजों ने उनको जेल में डाल दिया। पर कुछ लोग मानते है ये सिर्फ एक अफहबा है
5-ताजमहल का डिज़ाइन हुमायु के मक़बरे से प्रेरित लगता है. हुमायु शाहजहाँ के पर दादा थे. ताजमहल आगे आने वाले कई मकबरो के लिए प्रेरणा बना.
6-दूसरे विश्व युद्ध के समय सरकार ने मक़बरे के चारों तरफ़ बास का घेरा बनाकर सुरक्षा कवच बना दिया था जिसे हवाई हमले से बचाया जा सके. 1965 और 1971 पाकिस्तान युद्ध में भी ये ही किया गया था
7-ताजमहल की सबसे ज्यादा लोकप्रियता इसके निणमार से जुड़ी प्रेम कहानी से है वादशहा ने अपनी बेग़म मुमताज की याद में बनवाया था शाहजहाँ ने उनको मुमताज महल नाम दिया था जिसका मतलब महल का सबसे अनमोल रतन. महज 38 साल की उम्र में अपने 14 बे बचे को जन्म देते हुए उनकी मौत हो गयी थी बो उसे वक़्त में थी उनकी मौत से शाहजहाँ बहुत दुखी हुए थे और उनकी याद में ताज बनवाने का हुक़्क़ुम दिया था
8-पहले मुमताज को बुराणपुर में दफनाया गया था इसके बाद ताज बनाना शुरू हुआ उसके बाद मुमताज़
के शरीर को निकाल कर ताज के बगीचे में दफनाया गया ताज को बने में 22 साल लगे थे जब ताज बनकर तैयार हुआ उसके बाद उनको मुख्खा गुम्बंद के नीचे दफनाया गया.
9-शाहजहाँ का सारा ध्यान ताज की ख़ूबसूरत रूप देने में लगा हुआ था इसी बीच उनके ही बेटे औरंगज़ेब ने अपने ही पिता को कैद कर लिया शाहजहाँ से जब पूछा गया बो क्या चाहते है तब उन्होंने कहा उनको ऐसी जगे रखा जाए जाहा से बो सीधे ताज को देख सके और उनकी इस ईशा को पूरा किया गया और बही पर रहते हुए हुन्होने अपनी आखिरी सांस ली
10-ताज पर काफी कबीयौ ने कबिताये लिखी है उनमे से एक है रबिन्द्र नाथ टैगोर उन्होंने कहा था वक़्त के गाल पर एक आशु हमेशा हमेशा के लिए शाहजहाँ जानते थे ये दौलत ये शोहरत सब एक दिन ख़तम हो जाएगा इसलिये उन्होंने ताज बनवाया जिसे बो सबको याद रहे अपने प्रेम के लिए .
प्रेम की ये इमारत हमेशा से दो लोगो के प्रेम की एक कहानी सुनाती हुई आयी है और हमेशा सुनाती
रहेगी।
इस पोस्ट के लिया इतना ही
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