झूठा गुड़
गाय को माँ इसी लिए कहा जाता है - एक गाय के झूठे गुड़ ने एक इंसान की किस्मत ही बदल दी
एक दिन की बात है एक शादी पर जाना था लेकिन में जाना नहीं चाहता था उसकी 2 कारण थे एक तो मेरा व्यस्त होना और दूसरा गाँव की शादी में शामिल होना से बचना लेकिन घर वालो का दबाव था इसलिए जाना पड़ा। शादी की सुबह काम से बचने के लिए सैर करने के बहाने 2,3 किलोमीटर दूर जा कर शहर जाने वाली सड़क पर बैठ हुआ था हल्की हवा और सुबह का सुहाना मौसम बहुत अच्छा लग रहा था पास ही एक खेतो में गाये चारा खा रही थी तब ही बहा पर एक कार आकर रुकी। उसमे से एक आदमी उतरा कपड़ों और देखने में वो आदमी काफी अमीर लग रहा था वो एक थैली लेकर मुझ से कुछ दूरी पर एक सीमेंट के चबूतरे पर बैठ गया। और थैली चबूतरे पर पलट दी उस थैली में गुड़ था फिर उन्होंने आओ आओ करके पास में बैठी गाय को भुलाया सभी गाय उस आदमी के पास आ गयी वो कुछ गाय को गुड़ उठा कर खिला रहा था तो कुछ गाय अपने आप ही गुड़ खा रही थी वो आदमी भी उनके सर पर बड़े प्यार से हाथ घूमा रहे थे। कुछ ही देर में गाय लगभग सारा गुड़ खा कर चली गयी उसके बाद जो हुआ वो में कभी नहीं भूल सकता। हुआ ये की गाय के गुड़ खाने के बाद जो गुड़ के टुकड़े बच गए थे वो आदमी वो गुड़ उठा उठा कर खा रहा था। में उनकी इस क्रिया से परेशान हो गया लेकिन वो आदमी बिना किसी संकोच के वो टुकड़े बड़े प्यार से खाता रहा उसके बाद वो आदमी अपनी कार के पास चले गए में उनके पास जल्दी से गया और बोला मेरे को माफ करे लेकिन अभी जो हुआ उसे मेरा दिमाग घूम गया है। क्या आप मेरी इस जिज्ञासा को शांत करेंगे की आप इतने अमीर होकर भी गाय का झूठा गुड़ क्यों खा रहे थे। उस आदमी के चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कान आ गयी। मेरे कधे पर हाथ रख कर सीमेंट के चबूतरे पर आ बैठे और बोले तुम जो ये गुड़ के झूठे टुकड़े देख रहे हो मेरे को आज तक इसे ज्यादा स्वादिस कुछ नहीं लगा
जब भी मेरे को समय मिलता है में हमेसा यही आकर अपनी आत्मा में इस गुड़ की मिठास को खोल लेता हो। में अब भी नहीं समझ सका साहब की क्या है इस गुड़ में तब वो आदमी बोला ये बात आज से करीब 40 साल पहले की है उस समय में 22 साल का था घर में आंतरिक कलह के कारण में अपने घर से भाग आया था लेकिन ट्रेन में कोई मेरा सारा सामान चुरा ले गया था और पैसे भी। इस अजनबी का इस शहर में मेरा कोई नहीं था काफी गर्मी थी 4 दिन तक भूखा रह कर इधर से उधर भटकता रहा। और जब शाम को भूख मेरे को निगले को आतुर थी तब इस जगह पर ऐसे ही एक गाय को एक आदमी गुड़ डाल के गया। यहा पर एक पीपल का पेड़ हुआ करता था तब चबूतरा नहीं था तब उस पेड़ की जड़ पर बैठा था और भूख से ब्याकुल हो रहा था। तब मेने देखा गाय ने गुड़ को छुया तक नहीं और बहा से चली गयी तब में सोचता रहा और तब मेने वो सारा गुड़ उठा कर खा लिया मेरी आत्मा में फिर से थोड़ी जान सी आ गयी में बही पेड़ की जड़ में पड़ा रहा जब में अगले दिन जागा तब काफी रोशनी हो गयी थी में नितकर्मो से फ्री हो कर पूरे दिन किसी काम की तलाश में घूमता रहा लेकिन काम नहीं मिला तब में थक कर वापस उसी जगह पर आ गया और भूख भी लग रही थी कल और आज में कुछ भी तो नहीं बदला था बही पीपल का पेड़ बही भूख बही मैं और बही गाय कुछ ही देर में बही कल वाला आदमी आया और गाय को गुड़ दाल के चला गया और कल की ही तरह गाय बिना खाये वहा से चली गयी। में मजबूर था में उठा और वो गुड़ खा कर सो गया। फिर में अगले दिन उठा और काम की तलाश में चल दिया। लगभग 4,5 दिनों तक ऐसा ही चलता रहा में सुबह काम की तलाश में निकलता और शाम को उसी पीपल के पेड़ के नीचे आ कर सो जाता। एक दिन मेरे को एक जगह पर काम मिल गया जब मालिक ने मेरे को पहली पगार दी तो मेने 1 किलो गुड़ लिया और किसी दिव्य शक्ति के भरोसे 7 किलोमीटर पैदल चल कर इसी पीपल के नीचे आया और इधर उधर नज़र घूमयी तो गाय भी दिख गयी मैने सारा गुड़ उन गायो के सामने डाल दिया इस बार में अपने जीवन में सबसे ज्यादा चौक गया क्युकी उन गायो ने सारा गुड़ खा लिया जिसका मतलब साफ़ था की उन गायो ने उन दिनों मेरे लिए उस गुड़ को छोरा था। मेरी आखे भर गयी उस ममता को देख कर में रोता हुआ वापस ढाबे पर आ गया जहा में काम करता था और सोचता रहा। फिर कुछ समय के बाद मेरे को एक फर्म में काम मिल गया। दिन पर दिन मेरे को तरक्की मिलती रही। शादी हुई बच्चे हुए आज में खुद 5 फर्म का मालिक हो। ज़िंदगी की लम्बी यात्रा में मैने कभी भी उस गाय माता को नहीं भुलाया। में अधिकतर यहा आता हु गाय को गुड़ डालता हो और उनका झूठा गुड़ खाता हो में लाखों रुपए गौसाला में दान भी देता हो लेकिन मेरे को शांति यही आकर मिलती है। में देख रहा था वो आदमी कभी भावुक हो गया है वो आदमी बोला अब समझ गए तुम मैने हां में सर हिलाया फिर वो अपनी कार शुरु करके वहा से चला गया गया। में उठा और उन्ही टुकड़ो में से एक टुकड़ा उठाया मुँह में डाला और वापस शादी में सच्चे मन से शामिल हुआ सच में वो कोई ऐसा वैसा गुड़ नहीं था उस में कुछ अलग ही मिठास थी जो जीव के साथ आत्मा को भी खुश कर रही थी घर आकर गाय के बारे में जाने के लिए कुछ किताबे पड़ी और उसके बाद जाना गाय गौलोक की एक अमूल निधि है जिसकी रचना भगवान ने इंसानों के कल्याण के लिए की है आप ये मान सकते है गाय माता हम इंसानों के लिए भगवान की तरफ से प्रसाद है
जय राधे कृष्ण
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